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Showing posts from 2020

रत्न,आभूषण,हीरे-जवाहरात विष है कैसे ?

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रत्न,आभूषण ,हीरे-जवाहरात विष है कैसे ? नमस्कार बंधुओ, मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपके लिए एक शिक्षाप्रद कहानी लेकर आया हूँ । जिसमें बताया गया है कि धन - संपत्ति मनुष्य के  मनो - मस्तिष्क को किस प्रकार बदल देता है और वह अपने हितैषी की भी बातें नहीं समझते ।   भाईयो एवं बहनों,  उम्मीद से ज्यादा लोग हमारे   ब्लाॅग को पढ़कर लाभ उठा रहे हैं , इसलिए आपसे मेरा आग्रह है कि आप मुझे  कृपया follow भी करें । रत्न,आभूषण,हीरे-जवाहरात विष है कैसे? https://youtu.be/GqswiKHp2p8       एक बार महात्मा बुद्ध एक जंगल से होकर गुजर रहे थे तभी उन्होंने देखा एक सुनसान जगह पर एक आदमी जमीन खोद रहा था । देखते ही देखते उसने फावड़ा (कुदाल) एक ओर रख दिया और भूमि में दबा घड़ा बाहर निकाला । मिट्टी साफ करने के बाद उसने जब घड़े का ढक्कन खोला तो खुशी से उछल पड़ा।        घड़े में बहुमूल्य रत्न भरे थे । उसका मुखमंडल आनंद से चमकने लगा और उसने महात्मा बुद्ध से कहा -" आपके उपस्थिति में मुझे यह धन प्राप्त हुआ है ।अतः मैं यह धन आपके साथ बाँटना चाहता हूँ ।" ...

जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया

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जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया नमस्कार  बंधुओ, मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए एक ऐतिहासिक व मार्मिक कहानी लेकर आया हूँ जिसका शीर्षक है  'जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया' जी हाँ , अब आपके मन में सवाल उठता होगा क्या औरत अंडों को जन्म दे सकती है ? तो कोई अचरज की बात नहीं है लेकिन ये बिल्कुल सत्य है।ये बात महात्मा बुद्ध के समय की है। जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया                   उत्तर दिशा के तरफ एक पांचाल राज्य था। उस राज्य के राजा की पत्नी गर्भ से थी । समय होने पर उन्होंने बच्चे के स्थान पर पाँच सौ अंडों को जन्म  दिया। सेविकाओं की समझ में नहीं आया कि अब क्या करें ?    Free falling objects इस बात से रानी को भी शर्म महसूस हुई और कहा - दासियो ! इस बात को गुप्त रखना , तुमलोग इन अंडों को एक टोकरी में डालकर नदी में बहा दो  और राजा को सूचना दे दो कि रानी को एक मांस का लोथड़ा हुआ था जिसे फेंक दिया गया। दासी ने रानी के कथनानुसार ही किया। जिस समय अंडों की टोकरी नदी ...

सेतुबंध रामेश्वरम का माहात्म्य

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सेतुबंध रामेश्वरम् का माहात्म्य सेतुबंध रामेश्वरम् दक्षिण समुद्र तट पर तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है । यहाँ भगवान शिव का शिवलिंग स्थित है। त्रेतायुग में जब भगवान श्री राम   जब सीता जी को लंकेश रावण से वापस लाने के लिए जा रहे थे तभी समुद्र पर सेतु बनाते समय उन्होंने यहीं शिवलिंग की स्थापना किये । भगवान श्री राम द्वारा स्थापित किए जाने के कारण रामेश्वरम् कहलाये अर्थात् जो श्रीराम का ईश्वर हो --वही रामेश्वरम् है।  भगवान श्री राम ने श्री रामचरितमानस मानस में कहा है --   ' लिंग थापि विधिवत करि पूजा ।  शिव समान मोहि प्रिय नहीं दूजा।।' उन्होंने अपने श्री मुख से कहा है --  "  जो व्यक्ति रामेश्वरम् का दर्शन करेंगे , उन्हें सायुज्य मुक्ति प्राप्त होगी।"   सेतुबंध रामेश्वरम् का माहात्म्य नमस्कार बंधुओ ! मैं नन्द किशोर राजपूत आज पावन पुनित  सेतुबंध रामेश्वरम् की महिमा  वर्णन करने जा रहा हूँ । जिसके पढ़ने से पापों के समूह नष्ट हो जाते हैं। यह स्थान भारत के अंतिम छोर पर स्थित है। हमारे धर्मशास्त्र में गंधमादन पर्वत के नाम से...

जगन्नाथ पुरी की महिमा

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जगन्नाथ पुरी की महिमा नमस्कार बंधुओ, मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपको कलिंग लेकर चलता हूँ , जो उत्कल , उड़ीसा आदि के भी नामों से जाना जाता है । मैं ' जगन्नाथ पुरी की महिमा '  के बारे में वर्णन करने जा रहा हूँ। यह पावन पुरी आध्यात्मिक के साथ - साथ ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से भी अति महत्वपूर्ण है । यह पुरी जलधि तीर पर बसा हुआ है।  अशोक का शस्त्र त्याग व धर्म परिवर्तन -- उड़ीसा का प्राचीन नाम कलिंग है , जहाँ के शासक को पराजित करने के लिए महाराज अशोक को चढ़ाई करनी पड़ी थी । उनको कलिंग से चार वर्षों तक लगातार युद्ध करना पड़ा था । सेनानायक और महाराज की लड़ाई में मृत्यु हो जाने के बाद उनकी पुत्री पद्मा स्वयं युवतियों की सेना का नेतृत्व करती हुई अशोक के सामने आयी। महाराज अशोक ने स्त्री पर हथियार चलाना धर्मोचित् नहीं समझा और अपने अस्त्र - शस्त्र का त्याग करके बौद्ध धर्म  को स्वीकार कर आजीवन अहिंसा का व्रत ले लिया । जगन्नाथ पुरी धाम भारत के चार धामों में जगन्नाथपुरी धाम का विशेष महत्व है । यहाँ के भव्य मन्दिर में भगवान जगन्नाथ , सुभद्रा व बलराम की मूर्तियाँ दर्श...

इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण

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इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण नमस्कार बंधुओ, मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए अतिप्राचीन ऐतिहासिक कथा ' इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण '  का वर्णन करने जा रहा हूँ। जो श्रीवेदव्यास जी  द्वारा रचित है और जो श्रीशुकदेवजी ने राजा परीक्षित  से कहा है।यह मनोरम कथा श्रीमद्भागवत् महापुराण षष्ठ स्कन्ध अध्याय - 13  से लिया गया है । इसमें पूरा तेरहवॉं अध्याय श्लोक संख्या 1 से 23 तक वर्णन है। इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण श्री शुकदेवजी कहते हैं --  महादानी परीक्षित ! वृत्रासुर की मृत्यु से इन्द्र के अतिरिक्त तीनों लोक और लोकपाल उस समय परम प्रसन्न हो गये। उनका भय , उनकी चिंता समाप्त हो गयी । युद्ध समाप्त होने पर देवता , ऋषि , पितर , भूत , दैत्य और देवताओं अनुचर गंधर्व आदि इन्द्र से बिना पूछे ही अपने - अपने लोक को चले गये। इसके पश्चात् ब्रह्मा, शंकर और इन्द्र भी चले गये । राजा परीक्षित ने पूछा ---   भगवान् ! मैं देवराज इन्द्र की अप्रसन्नता कारण सुनना चाहता हूँ । जब वृत्रासुर के वध से सभी देवता सुखी हुए तो इन्द्र के दुःखी होने के क्या कारण थे । श्री शुकद...

करणनिरपेक्ष साधन क्या है ?

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करणनिरपेक्ष साधन क्या है ? नमस्कार बंधुओ ,              मैं नन्द किशोर सिंह आज एक महत्वपूर्ण व रोचक विषय लेकर आया हूँ , जिसमें    'करणनिरपेक्ष साधन '   के बारे में चर्चा में चर्चा करेंगे। ज्यों  तिरिया  पीहर  रहै ,   सुरति  रहै  पिय  माहिं । ऐसे  जन   जगमें     रहै ,  हरि   को    भूलै   नाहिं।।           कन्या    मायके में कुछ दिन रह जाती है  तो माँ से कहती है -- ' हे माँ ! मुझे भाई या किसी परिवारजन के साथ  अपने घर पहुँचवा दो क्योंकि मेरे पति को गृहकार्य में परेशानी होती होगी ।'  वह रहती है मायके में लेकिन  चिंता घर की बनी रहती है क्योंकि उसे मालूम है कि मैं मायके की नहीं बल्कि ससुराल की हूँ , वही मेरा वास्तविक घर है ।   इसी तरह भगवान का भक्त इस संसार में रहते हुए भी भगवान् को नहीं भूलता , वह समझता है कि यह जगत् मेरा नहीं है , मेरे तो भगवान हैं। यह करणनिरपेक्ष साधन है।   ...

सत्संग कैसे सुनें | Satsang Kaise sune ?

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सत्संग कैसे सुनें | Satsang Kaise sune ? नमस्कार बंधुओ !            मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए महत्वपूर्ण आध्यात्मिक विषय लेकर आया हूँ , जिसका शीर्षक है ---- सत्संग कैसे सुनें | Satsang Kaise sune         सत्संग दो शब्दों के संधि योग से बना है --  सत् + संग अर्थात् जिसका संग अच्छे लोगों से हो वह सत्संगति है। सत्संग सुनना भी एक विद्या है यदि उस विद्या को काम में लाया जाय तो सत्संग से बहुत बड़ा लाभ उठाया जा सकता है।                पढ़ाई करने से उतना बड़ा विद्वान कोई नहीं बन सकता , जितना सत्संग से बनता है। ग्रंथ पढ़ने  से तो एक विषय का ज्ञान होता है , परंतु सत्संग से परमार्थिक और व्यावहारिक   सब तरह का ज्ञान है। सत्संग करने वाला कर्मयोग , भक्तियोग , ज्ञानयोग , लययोग , राजयोग , अष्टांगयोग , हठयोग आदि अनेक विषयों की जानकारी प्राप्त कर लेता है । इन्द्र पर ब्रह्महत्या का अपराध जो प्रत्येक काम मन लगाकर करता है , वही व्यक्ति मन लगाकर सत्संग सुन सकता है । इसलिए जो भी काम ...

ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ?

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ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ? नमस्कार मित्रो,                      मैं नन्द किशोर सिंह आज एक महत्वपूर्ण विषय लेकर आया हूँ जिसका शीर्षक --- ' ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ? '  जी हाँ , यह प्रश्न साधारण मनुष्यों के लिए सरल है और ज्ञानीजनों के लिए पेचीदा ! तो आइये इसको थोड़ा समझ लिया जाय । ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ?                      ज्ञान और भक्ति -- दोनों ही संसार के दुःख को दूर करने में एक जैसे हैं ; परंतु दोनों की अपेक्षा भक्ति की महिमा अधिक है । ज्ञान में तो अखण्डरस है  , लेकिन भक्ति में अनन्तरस है। अनंतरस में लहरों वाला , थिरकन वाला एक बहुत विलक्षण आनंद है । जैसे - जैसे बालक सांसारिक वस्तुओं  को पहचानने लगता है और धीरे - धीरे उसे ज्ञान होने लगता है कि यह आग है , पानी है , पेड़ - पौधे , जीव - जंतु , दीपक , पंखा आदि है , ऐसे ही तत्त्व का ज्ञान अज्ञान को मिटाता है।  अज्ञा...

शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ?

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शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ? नमस्कार मित्रो !                       मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपके लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आया हूँ जिसका विषय है -- "शरणागति किसकी की जाय ! "                  सही में हमें किनकी शरण जाना चाहिए ? सभी सोचते हैं मुझे बेसुमार धन - दौलत हो जाय , कोई घर - परिवार , कोई नौकरी - व्यवसाय आदि।             कोई सोचते हैं हमें किनकी पूजा करनी चाहिए जिनसे मनोवांछित फल प्राप्त हो -- शिव , ब्रह्मा , विष्णु , इन्द्र , बृहस्पति , शिवा,भवानी , लक्ष्मी आदि। इन सवालों के चक्कर में मनुष्य उलझे रह जाते हैं और उन्हें जीवनपर्यंत हल नहीं मिल पाता है यदि आपके पास भी ऐसा कोई भी सवाल है तो जरूर श्रीमद्भागवत्गीता  का अध्ययन करें । आपको सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ?          अर्जुन के साथ इतनी घनिष्ठ मित्रता होते हुए भी भगवान् श्रीकृष्ण ने उन...

Papankusha | पापांकुशा एकादशी | आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य

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Papankusha | पापांकुशा एकादशी | आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य श्री गणेशाये नमः।। श्री गुरुवे नमः।।                         मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके समक्ष आश्विन शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का वर्णन करने जा रहा हूँ , जो ब्रह्मवैवर्तपुराण से लिया गया है और भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर को सुनाया है।                               जो लोग एकादशी व्रत करते हैं वो तो पुण्यत्मा हैं ही लेकिन बहुत सारे लोग व्रत नहीं कर सकते हैं वे इस कथा का श्रवण या अध्ययन जरूर करें क्योंकि ऐसा करने से उनके असंख्य पाप मिट जाते हैं। महत्वपूर्ण बात जो लोग उपवास नहीं रख सकते वो लोग रोटी के साथ नमक छोड़कर मीठा भोजन कर सकते हैं ऐसा करने से एकादशी व्रत का एक चौथाई फल मिल जाता है। श्री गौरीपतये नमः।। Papankusha | पापांकुशा एकादशी | आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य                 ...

Indira Ekadashi | इंदिरा एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य#आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा

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Indira Ekadashi | इंदिरा एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य#आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा श्री गणेशाये नमः।। भगवान विष्णु का द्वादश अक्षर मंत्र -- जिसे जपकर भक्तराज ध्रुव ने हरि नारायण को प्रसन्न किया ---- " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " जय श्री हरि ! मैं नन्द किशोर आज आपके लिए मैं पावन पवित्र आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य लेकर आया हूँ जो पुण्य प्रदायिनी इंदिरा के नाम  से प्रसिद्ध है। जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर महाराज को सुनाया है और जो ब्रह्मवैवर्त पुराण से लिया गया है। Indira Ekadashi | इंदिरा एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य#आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा भगवान श्री कृष्ण ने कहा -- हे पाण्डव !                    आश्विन कृष्णपक्ष में इंदिरा नाम की एकादशी होती है। इस व्रत के प्रभाव से बड़े - बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं । अधोगति को प्राप्त हुए पितरों को यह गति देने वाली है ।  हे राजन् ! सावधान होकर इस पापों को दूर करने वाली कथा को सुनो । इसके सुनने से वाजपेय यज्ञ  का फल मिलता है । राजा इन्द्रसेन की कथा...

Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि

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Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि       श्री गणेशाये नमः।।       मैं नन्द किशोर आज आपके लिए परम पावन मोक्ष देने वाली जयंती एकादशी  कथा व माहात्म्य का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसे परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं , इस एकादशी का नाम वामन एकादशी  भी है ।  यह कथा परम पुनित है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा है । जो ब्रह्मवैवर्त पुराण  से लिया गया है । Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि श्रीकृष्ण भगवान युधिष्ठिर से  बोले -- हे राजन् !                         स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली , सब पापों को रहने वाली , परम पवित्र वामन एकादशी की कथा मैं तुमसे कहता हूँ । हे नृपश्रेष्ठ ! इसको जयंती एकादशी  भी कहते हैं । इसके श्रवण मात्र से सब पाप दूर हो जाते हैं ।  अश्वमेध य...

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी व्रत कथा/Putrada mahatmya ।।श्री गणेशाये नमः।। भगवान विष्णु का अष्टाक्षर मंत्र " ॐ नमो नारायणाय "             आज मैं उस एकादशी का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसके करने से समस्त कामनाएँ पूर्ण होती है , विष्णुभक्त पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है तथा जिस कथा के श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस कथा को भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का सुनाया है। पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी व्रत कथा/Putrada mahatmya          प्राचीन समय में द्वापर युग के प्रारंभ में माहिष्म पुरी में  महीजित नाम का राजा राज्य करता था । उसको पुत्र नहीं था इसलिए उसको राज्य में सुख नहीं मिलता था । बिना पुत्र के इस लोक और परलोक में सुख नहीं है । पुत्र प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के यत्न किए लेकिन पुत्ररत्न की प्राप्ति नहीं हुई । धीरे - धीरे राजा वृद्धावस्था को प्राप्त हुआ और बहुत चिंतित रहने लगा ।              एक दिन  राजा ने सभा में बैठकर सभी प्रजाज...

अजा एकादशी व्रत कथा -- Aja Ekadashi Vrat Katha/भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी कथा

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अजा एकादशी व्रत कथा -- Aja Ekadashi Vrat Katha/भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी कथा नमस्कार दोस्तो ,                      मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए महापुण्यदायिनी भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी  कथा लेकर आया हूँ । इस पापनाशिनी कथा को भगवान श्रीकृष्ण जी ने युधिष्ठिर से कहा है  जो ब्रह्मवैवर्त पुराण से लिया गया है । अजा एकादशी व्रत कथा -- Aja Ekadashi Vrat Katha/भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी कथा भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम अजा है जो सभी पापों को   दूर करने वाली है । इससे बढ़कर कोई भी हितकारी व्रत नहीं है।  सत्यवादी हरिश्चन्द्र की कथा      प्राचीन समय में सब पृथ्वी का स्वामी चक्रवर्ती  हरिश्चन्द्र नाम का सत्यवादी राजा हुआ । वह किसी कर्म के वश राज्य से भ्रष्ट हो गया। उसने अपनी स्त्री पुत्र  और अपने शरीर को भी बेच दिया । हे राजन् ! वह धर्मात्मा राजा  चांडाल ( डोम )   के यहाँ नौकर हो गया परंतु उन्होंने सत्य नहीं छोड़ा । स्वामी की आज्ञा से वह कर ( टेक्स) के रूप में मुर्द...