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Showing posts from May, 2020

ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ?

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ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ? नमस्कार मित्रो,                      मैं नन्द किशोर सिंह आज एक महत्वपूर्ण विषय लेकर आया हूँ जिसका शीर्षक --- ' ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ? '  जी हाँ , यह प्रश्न साधारण मनुष्यों के लिए सरल है और ज्ञानीजनों के लिए पेचीदा ! तो आइये इसको थोड़ा समझ लिया जाय । ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ?                      ज्ञान और भक्ति -- दोनों ही संसार के दुःख को दूर करने में एक जैसे हैं ; परंतु दोनों की अपेक्षा भक्ति की महिमा अधिक है । ज्ञान में तो अखण्डरस है  , लेकिन भक्ति में अनन्तरस है। अनंतरस में लहरों वाला , थिरकन वाला एक बहुत विलक्षण आनंद है । जैसे - जैसे बालक सांसारिक वस्तुओं  को पहचानने लगता है और धीरे - धीरे उसे ज्ञान होने लगता है कि यह आग है , पानी है , पेड़ - पौधे , जीव - जंतु , दीपक , पंखा आदि है , ऐसे ही तत्त्व का ज्ञान अज्ञान को मिटाता है।  अज्ञान के मिटने से दुःख , भय , जन्म - मरणरूप बंधन -- ये सब मिट जाते हैं । ये दुःख , भय  आदि सब अज्ञान से ही उत्पन्न होते हैं।

शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ?

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शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ? नमस्कार मित्रो !                       मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपके लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आया हूँ जिसका विषय है -- "शरणागति किसकी की जाय ! "                  सही में हमें किनकी शरण जाना चाहिए ? सभी सोचते हैं मुझे बेसुमार धन - दौलत हो जाय , कोई घर - परिवार , कोई नौकरी - व्यवसाय आदि।             कोई सोचते हैं हमें किनकी पूजा करनी चाहिए जिनसे मनोवांछित फल प्राप्त हो -- शिव , ब्रह्मा , विष्णु , इन्द्र , बृहस्पति , शिवा,भवानी , लक्ष्मी आदि। इन सवालों के चक्कर में मनुष्य उलझे रह जाते हैं और उन्हें जीवनपर्यंत हल नहीं मिल पाता है यदि आपके पास भी ऐसा कोई भी सवाल है तो जरूर श्रीमद्भागवत्गीता  का अध्ययन करें । आपको सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ?          अर्जुन के साथ इतनी घनिष्ठ मित्रता होते हुए भी भगवान् श्रीकृष्ण ने उनको पहले कभी गीता का उपदेश नहीं दिया परंतु युद्ध के अवसर पर अपने सगे - संबंधियों को देखकर संदेह में पड़ गया कि मुझे अपने प्रियजनों का मारकर अपना अधिका

Papankusha | पापांकुशा एकादशी | आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य

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Papankusha | पापांकुशा एकादशी | आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य श्री गणेशाये नमः।। श्री गुरुवे नमः।।                         मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके समक्ष आश्विन शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का वर्णन करने जा रहा हूँ , जो ब्रह्मवैवर्तपुराण से लिया गया है और भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर को सुनाया है।                               जो लोग एकादशी व्रत करते हैं वो तो पुण्यत्मा हैं ही लेकिन बहुत सारे लोग व्रत नहीं कर सकते हैं वे इस कथा का श्रवण या अध्ययन जरूर करें क्योंकि ऐसा करने से उनके असंख्य पाप मिट जाते हैं। महत्वपूर्ण बात जो लोग उपवास नहीं रख सकते वो लोग रोटी के साथ नमक छोड़कर मीठा भोजन कर सकते हैं ऐसा करने से एकादशी व्रत का एक चौथाई फल मिल जाता है। श्री गौरीपतये नमः।। Papankusha | पापांकुशा एकादशी | आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य                          भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा -  आश्विन मास के शुक्लपक्ष में पापांकुशा एकादशी होती है ।इसमें मनुष्य को पद्मनाभ भगवान का पूजन करना चाहिए ।  यह एकादशी सभी मनोरथ और मोक्ष द

Indira Ekadashi | इंदिरा एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य#आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा

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Indira Ekadashi | इंदिरा एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य#आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा श्री गणेशाये नमः।। भगवान विष्णु का द्वादश अक्षर मंत्र -- जिसे जपकर भक्तराज ध्रुव ने हरि नारायण को प्रसन्न किया ---- " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " जय श्री हरि ! मैं नन्द किशोर आज आपके लिए मैं पावन पवित्र आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य लेकर आया हूँ जो पुण्य प्रदायिनी इंदिरा के नाम  से प्रसिद्ध है। जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर महाराज को सुनाया है और जो ब्रह्मवैवर्त पुराण से लिया गया है। Indira Ekadashi | इंदिरा एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य#आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी कथा भगवान श्री कृष्ण ने कहा -- हे पाण्डव !                    आश्विन कृष्णपक्ष में इंदिरा नाम की एकादशी होती है। इस व्रत के प्रभाव से बड़े - बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं । अधोगति को प्राप्त हुए पितरों को यह गति देने वाली है ।  हे राजन् ! सावधान होकर इस पापों को दूर करने वाली कथा को सुनो । इसके सुनने से वाजपेय यज्ञ  का फल मिलता है । राजा इन्द्रसेन की कथा                     पहले सत्ययुग में शत्रुओं को दबाने वाला

Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि

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Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि       श्री गणेशाये नमः।।       मैं नन्द किशोर आज आपके लिए परम पावन मोक्ष देने वाली जयंती एकादशी  कथा व माहात्म्य का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसे परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं , इस एकादशी का नाम वामन एकादशी  भी है ।  यह कथा परम पुनित है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा है । जो ब्रह्मवैवर्त पुराण  से लिया गया है । Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि श्रीकृष्ण भगवान युधिष्ठिर से  बोले -- हे राजन् !                         स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली , सब पापों को रहने वाली , परम पवित्र वामन एकादशी की कथा मैं तुमसे कहता हूँ । हे नृपश्रेष्ठ ! इसको जयंती एकादशी  भी कहते हैं । इसके श्रवण मात्र से सब पाप दूर हो जाते हैं ।  अश्वमेध यज्ञ का फल भी इसके व्रत से बड़ा नहीं है । इस जयंती का व्रत पापियों के पापों को दूर करने वाला है । हे राजन् ! इससे बढ़कर कोई म

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी व्रत कथा/Putrada mahatmya ।।श्री गणेशाये नमः।। भगवान विष्णु का अष्टाक्षर मंत्र " ॐ नमो नारायणाय "             आज मैं उस एकादशी का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसके करने से समस्त कामनाएँ पूर्ण होती है , विष्णुभक्त पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है तथा जिस कथा के श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस कथा को भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का सुनाया है। पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी व्रत कथा/Putrada mahatmya          प्राचीन समय में द्वापर युग के प्रारंभ में माहिष्म पुरी में  महीजित नाम का राजा राज्य करता था । उसको पुत्र नहीं था इसलिए उसको राज्य में सुख नहीं मिलता था । बिना पुत्र के इस लोक और परलोक में सुख नहीं है । पुत्र प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के यत्न किए लेकिन पुत्ररत्न की प्राप्ति नहीं हुई । धीरे - धीरे राजा वृद्धावस्था को प्राप्त हुआ और बहुत चिंतित रहने लगा ।              एक दिन  राजा ने सभा में बैठकर सभी प्रजाजनों से कहा -- मैंने कभी भी मैंने गलत तरीके से धन अर्जित नहीं किया । दुष्टता करने पर भ्रात

अजा एकादशी व्रत कथा -- Aja Ekadashi Vrat Katha/भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी कथा

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अजा एकादशी व्रत कथा -- Aja Ekadashi Vrat Katha/भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी कथा नमस्कार दोस्तो ,                      मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए महापुण्यदायिनी भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी  कथा लेकर आया हूँ । इस पापनाशिनी कथा को भगवान श्रीकृष्ण जी ने युधिष्ठिर से कहा है  जो ब्रह्मवैवर्त पुराण से लिया गया है । अजा एकादशी व्रत कथा -- Aja Ekadashi Vrat Katha/भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी कथा भाद्रपद कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम अजा है जो सभी पापों को   दूर करने वाली है । इससे बढ़कर कोई भी हितकारी व्रत नहीं है।  सत्यवादी हरिश्चन्द्र की कथा      प्राचीन समय में सब पृथ्वी का स्वामी चक्रवर्ती  हरिश्चन्द्र नाम का सत्यवादी राजा हुआ । वह किसी कर्म के वश राज्य से भ्रष्ट हो गया। उसने अपनी स्त्री पुत्र  और अपने शरीर को भी बेच दिया । हे राजन् ! वह धर्मात्मा राजा  चांडाल ( डोम )   के यहाँ नौकर हो गया परंतु उन्होंने सत्य नहीं छोड़ा । स्वामी की आज्ञा से वह कर ( टेक्स) के रूप में मुर्दे का वस्त्र लेने लगा । वह राजा सत्य पर अडिग रहा ।  इस तरह से राजा के बहुत से वर्ष बीत गये । राजा बहुत चिंतित

जो डर गया- वो मर गया | Jo dar gaya- wo mar gaya

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जो मर गया-वो डर गया | Jo mar gaya-wo dar gaya नमस्कार दोस्तो,                      मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए एक महत्वपूर्ण लेख लेकर आया हूँ , जिसका शीर्षक ' जो डर गया-वो मर गया | Jo dar gaya- wo mar gaya ' है ।                                      इस कहानी में स्वामी विवेकानंद के बचपन के एक कड़ी के ऊपर प्रकाश डाला गया है जो हमारे जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए उपयोगी हो सकता है। यह लेख काशी नगरी से जुड़ी हुई है तो चलिए एक बार काशी नगरी को थोड़ा समझ लिया जाए।                          काशी एक ऐतिहासिक नगरी काशी नगरी आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से ही एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है , जिसका नाम बनारस , वाराणसी भी है । यह नगरी भगवान शिवजी के त्रिशूल पर बसा हुआ है । यहाँ मरने वाले जीवों के कान में शिवजी स्वयं राम नाम का उच्चारण करते हैं जिससे उस जीव को बिना परिश्रम के ही वह जन्म -- मरण के चक्कर से छूटकर परमधाम का अधिकारी होकर मोक्ष प्राप्त करता है ।                       प्राकृतिक व भौगोलिक दृष्टि से भी इस नगरी का विशेष महत्व है।यह नगरी गंगाजी के तट पर बसा हुआ है

Kamika Ekadashi # श्रावण कृष्णपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य

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Kamika Ekadashi Vrat Katha # श्रावण कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य श्री गणेशाये नमः । नमस्कार दोस्तों,  मैं आज आपके लिए परम आनंददायिनी कामिका एकादशी की कथा व माहात्म्य का वर्णन करने जा रहा हूँ , जिसे युधिष्ठिर महाराज को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने श्री मुख से और ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा है तो चलिए अतिप्राचीन अतिमहत्वपूर्ण कथा की तरफ... प्रेम से बोलिए यशोदा नंदन श्रीकृष्ण भगवान् की जय Kamika Ekadashi Vrat Katha / श्रावण कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य श्रावण मास के कृष्णपक्ष में कामिका एकादशी होती है जिसके सुनने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है ।उसमें जो शंख चक्रधारी श्रीधर , मधुसूदन , हरि नाम वाले भगवान विष्णु का ध्यान करता है उसका जो फल है उसे सुनो । Kamika Ekadashi करने का फल जो फल गंगा , काशी , नैमिषारण्य और पुष्कर के स्नान से नहीं मिलता है , वह फल विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है । जो फल सूर्यग्रहण में केदार क्षेत्र और कुरूक्षेत्र में स्नान  दान करने से नहीं मिलता , वह फल श्रीकृष्ण जी के पूजन से मिलता है।                                        

Devshayani Ekadashi / Padma Ekadashi / आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी कथा

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Devshayani Ekadashi / Padma Ekadashi / आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी कथा आषाढ़ शुक्लपक्ष एकादशी कथा नमस्कार दोस्तों ,                     मैं नन्दकिशोर आज आपके लिए बहुत सुंदर  अतिप्राचीन कथा लेकर आया हूँ जो भगवान श्रीराम के पूर्वज चक्रवर्ती सम्राट   मान्धाता  से संबंधित है। जिसका वर्णन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण  ने महाराज युधिष्ठिर से किया है और जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा है। यह कथा ब्रह्मवैवर्तपुराण  से लिया गया है तो आइये हम सभी कथा के तरफ चलते हैं .... Devashayani Ekadashi # Padma Ekadashi ! आषाढ़ शुक्लपक्ष एकादशी कथा महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण पूछा -  आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का क्या नाम है , उसका देवता कौन है और विधि क्या है ? ये मुझसे कहिए।। श्रीकृष्ण भगवान बोले  -- हे महीपाल ! जिस कथा को ब्रह्माजी ने महात्मा नारदजी से कहा है , उस आश्चर्य कराने वाली कथा को मैं तुमसे कहता हूँ।  ब्रह्माजी नारदजी से बोले -  हे विवादप्रिय मुनिश्रेष्ठ ! तुम वैष्णव हो , तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है । जगत में एकादशी से पवित्र और कोई पर्व नहीं है , सब पापों को नष्ट करने के ल

योगिनी एकादशी : व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति #जानें पूजा विधि और महत्व / आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी कथा

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योगिनी एकादशी : व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति #जानें पूजा विधि और महत्व / आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी कथा Ekadashi katha योगिनी एकादशी : व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति #जानें पूजा विधि और महत्व / आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी कथा            नमस्कार दोस्तों ,                               मैं नन्दकिशोर सिंह आज आपके लिए अति महत्वपूर्ण अतिप्राचीन  कथा लेकर आया हूँ जिसका इन्तजार आपको भी अरसों से था तो आइये चलें अनुपम कथा की ओर  ......       आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी       युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण जी से पूछा -- आषाढ़ Krishna Ekadashi का क्या नाम है ?  हे मधुसूदन कृपा करके कहिए ।                                         श्रीकृष्ण भगवान बोले -- हे राजन् ! व्रतों  में उत्तम व्रत मैं तुमसे कहूँगा उसे ध्यान से सुनो।   आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम योगिनी है जो सभी पापों को दूर कर भुक्ति और मुक्ति देती है। हे नृपश्रेष्ठ !  यह एकादशी बड़े पापों  का नाश करने वाली और संसार रूपी  सागर में डूबे हुए मनुष्यों को पार लगाने वाली सनातनी है ।। हे नराधिप ! यह यो

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

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राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद ' राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद ' श्री गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ' श्री रामचरितमानस ' के बालकांड से लिया गया है।        इसमें दिखाया गया श्रीरामचन्द्रजीके द्वारा धनुष टूट जाने पर  परशुरामजी क्रोध के कारण अत्यंत व्यग्र हो उठे हैं और सही - गलत का निर्णय नहीं कर पा रहे हैं तो आइये काव्य के जरिए समझने की कोशिश करेंगे।    प्रभु श्रीरामजी ने धनुष तोड़ दिया है और महेंद्रगिरी पर्वत पर परशुराम जी धनुष की भयंकर आवाज सुनकर महाराज जनक की सभा में आते हैं। वहीं उनकी वार्तालाप होती है जिसका कुछ अंश NCERT#CBSE  पाठ्यपुस्तिका में दिया गया है।             राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद       हे नाथ (स्वामी) ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका सेवक ही होगा। आप क्या आज्ञा उनके लिए देना चाहते हैं वो मुझसे क्यों नहीं कहते हैं ? यह सुनकर क्रोधी मुनि गुस्सा करके बोले --      सेवा करने वाला ही सेवक होता है लेकिन शत्रुता का काम करके लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम ! जिसने मेरे गुरु भगवान शिव के धनुष को तोड़ा है वह हजार हाथ वा