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माडर्न एज के लिए अराजकतावाद

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मॉडर्न एज के लिए अराजकतावाद नमस्कार भाईयो और बहनो,  मैं हूँ नन्द किशोर राजपूत और लाया हूँ आपके लिए एक नया पोस्ट जिसका शीर्षक है -  माडर्न एज के लिए अराजकतावाद  "शालीनता की पतली और अनिश्चित परत वह सब है जो किसी भी सभ्यता को अलग करती है, हालांकि, अराजकता या व्यवस्थित अत्याचार के नरक से हानिकारक है, जो सतह के नीचे प्रतीक्षा में है।" - एल्डस लियोनार्ड हक्सले (१६६ ९ ४-१९ ६३), ब्रिटिश लेखक (नारायणमस के थ्योरी)      पॉलिटिक्स के सभी रूपों में अवलोकन, विफल रहा है। यह धारणा कि हम सुरक्षित रूप से और सफलतापूर्वक अपने दैनिक जीवन के प्रबंधन को सौंप सकते हैं और प्राथमिकताओं को एक राजनीतिक वर्ग या अभिजात वर्ग को सौंपना पूरी तरह से बदनाम है।         राजनेताओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, चाहे वे जो भी सिस्टम में काम करते हों। बाधाओं, चेकों और शेष राशि का कोई भी सेट काम नहीं करता है और उनके बेशूदा कामों और हमारे कल्याण और कैलायु पर होने वाले घातक प्रभावों को कम करने के लिए साबित होता है। विचारधाराएं - सौम्य से द्वेष तक और परमात्मा से पैदल यात्री तक - भोला मानव जाति

कैटरीना नकद संकट कैसा संकट है / यह संकट किसे कहा गया है और कैटरीना ही क्यों#

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      कैटरीना नकद संकट कैसा संकट है / यह  संकट किसे कहा गया है   और कैटरीना ही क्यों# नमस्कार बहनो और भाईयो, मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपके लिए वर्तमान घटनाओं पर आधारित एक दिलचस्प पोस्ट लेकर आया हूँ। आज कैटरीना नकद संकट के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं। जिसमें मैं बताऊँगा - "कैटरीना नकद संकट कैसा संकट है / यह संकट किसे कहा गया है और कैटरीना ही क्यों " तूफान कैटरीना के पीड़ितों को सहायता देना जारी रखने की आवश्यकता एक प्राथमिकता बनी रहना चाहिए ... यह अमेरिकी खाड़ी तट पर तबाह होने के महीनों बाद की घटना है। अरबों रिले में खर्च किए गए हैं, लेकिन अरबों की अधिक जरूरत है। इस तरह के एक तूफान की गुंजाइश है जो आधुनिक उत्तरी अमेरिकी इतिहास में सबसे गंभीर में से एक है। आज तक, निवासियों के जीवन अभी भी बर्बाद हो गए हैं। महत्वपूर्ण सेवाएं अभी भी चाहते हैं। घर और व्यवसाय अप्रभावित रहते हैं। ऐसा करने के प्रयास में कमी नहीं है; दूर है। कठिन तथ्य यह है कि उपलब्ध संसाधन अभी भी बहुत पतले हैं। हाल ही में, वाशिंगटन पोस्ट ने आज तक प्रदान की गई धर्म

स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 8 चीजें हर महिला को ध्यान में रखना चाहिए

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  स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 8 चीजें हर महिला को ध्यान में रखना चाहिए मैं नन्द किशोर  हमेशा सेहत की चुनौतियों को रोकने और इलाज में पहले कदम के रूप में आत्म-देखभाल की वकालत करता हूं।          जब स्तन स्वास्थ्य की बात आती है, तो स्व-देखभाल का महत्व एक संदेश है जिसे मैं अक्सर पर्याप्त साझा नहीं कर सकता। राष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरूकता माह के दौरान अक्टूबर में हर जगह गुलाबी रिबन देखना बहुत अच्छा है! अगर  गुलाबी रिबन महिलाओं के लिए एक अतिरिक्त महत्वपूर्ण संदेश होता।  तो "आप अपने स्तन स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं और कुछ सरल जीवनशैली में बदलाव के साथ अभी स्तन कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।" हम जहां हम रहते हैं या हमारे आनुवंशिक जोखिम कारकों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं- यह सच है। हालांकि, शोध का एक बढ़ता हुआ शरीर हमें दिखा रहा है कि महिलाएं वास्तव में आहार, व्यायाम और वजन प्रबंधन के माध्यम से अपने स्तन स्वास्थ्य में फर्क कर सकती हैं। ये सरल कदम आपके शरीर के हार्मोनल संतुलन को अनुकूलित करने और स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में

एक प्रेरणा - मित्र की आखिरी साँस तक

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एक प्रेरणा - मित्र की आखिरी साँस तक नमस्ते मित्र, मैं नन्द किशोर,  आज आपके लिए  मृत्यु से जूझते एक मित्र की कहानी लेकर उपस्थित हुआ हूँ  -- " एक प्रेरणा - मित्र की आखिरी साँस तक "         12 साल पहले मेरे एक अच्छे दोस्त की मृत्यु हो गई, वह 43 साल का था। उन्हें कैंसर था। यद्यपि हम अक्सर नहीं मिलते थे, मैं भारत  के एक तरफ रहता था और वह दूसरे तरफ रहता था, लेकिन जब हम मिलते थे तो हमें कोई रोक नहीं रहा था। हम बहुत हंसते थे और अंत में घंटों बात करते थे। उनका एक प्यार करने वाला परिवार था, उनका खुद का व्यवसाय, वह हर तरह से एक खुशहाल, सफल इंसान थे। हम सभी जानते थे कि वह मरने जा रहा था, फिर भी अजीब तरह से, उसकी आँखों में कोई दुःख नहीं था और हम में से कोई भी उसके आस-पास होने या यहाँ तक कि अपरिहार्य के बारे में बात करने में असहज महसूस नहीं कर रहा था।  यह अजीब शांति थी, उसके बारे में शांत। कोई जल्दी नहीं, कोई कड़वाहट नहीं, ड्रामा करो। जब मैंने उनसे पूछा कि उन्हें जीवन और मरने के बारे में कैसा महसूस हुआ, तो उन्होंने यही कहा: बड़ों को नमस्कार करने से क्या लाभ मिलता है “जब मैं एक

रत्न,आभूषण,हीरे-जवाहरात विष है कैसे ?

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रत्न,आभूषण ,हीरे-जवाहरात विष है कैसे ? नमस्कार बंधुओ, मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपके लिए एक शिक्षाप्रद कहानी लेकर आया हूँ । जिसमें बताया गया है कि धन - संपत्ति मनुष्य के  मनो - मस्तिष्क को किस प्रकार बदल देता है और वह अपने हितैषी की भी बातें नहीं समझते ।   भाईयो एवं बहनों,  उम्मीद से ज्यादा लोग हमारे   ब्लाॅग को पढ़कर लाभ उठा रहे हैं , इसलिए आपसे मेरा आग्रह है कि आप मुझे  कृपया follow भी करें । रत्न,आभूषण,हीरे-जवाहरात विष है कैसे? https://youtu.be/GqswiKHp2p8       एक बार महात्मा बुद्ध एक जंगल से होकर गुजर रहे थे तभी उन्होंने देखा एक सुनसान जगह पर एक आदमी जमीन खोद रहा था । देखते ही देखते उसने फावड़ा (कुदाल) एक ओर रख दिया और भूमि में दबा घड़ा बाहर निकाला । मिट्टी साफ करने के बाद उसने जब घड़े का ढक्कन खोला तो खुशी से उछल पड़ा।        घड़े में बहुमूल्य रत्न भरे थे । उसका मुखमंडल आनंद से चमकने लगा और उसने महात्मा बुद्ध से कहा -" आपके उपस्थिति में मुझे यह धन प्राप्त हुआ है ।अतः मैं यह धन आपके साथ बाँटना चाहता हूँ ।"        बुद्ध ने कुछ भी लेने से मना कर दिया । जब शि

जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया

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जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया नमस्कार  बंधुओ, मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए एक ऐतिहासिक व मार्मिक कहानी लेकर आया हूँ जिसका शीर्षक है  'जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया' जी हाँ , अब आपके मन में सवाल उठता होगा क्या औरत अंडों को जन्म दे सकती है ? तो कोई अचरज की बात नहीं है लेकिन ये बिल्कुल सत्य है।ये बात महात्मा बुद्ध के समय की है। जब रानी ने पाँच सौ अंडों को जन्म दिया                   उत्तर दिशा के तरफ एक पांचाल राज्य था। उस राज्य के राजा की पत्नी गर्भ से थी । समय होने पर उन्होंने बच्चे के स्थान पर पाँच सौ अंडों को जन्म  दिया। सेविकाओं की समझ में नहीं आया कि अब क्या करें ?    Free falling objects इस बात से रानी को भी शर्म महसूस हुई और कहा - दासियो ! इस बात को गुप्त रखना , तुमलोग इन अंडों को एक टोकरी में डालकर नदी में बहा दो  और राजा को सूचना दे दो कि रानी को एक मांस का लोथड़ा हुआ था जिसे फेंक दिया गया। दासी ने रानी के कथनानुसार ही किया। जिस समय अंडों की टोकरी नदी में बहा दिया जा रहा था उस समय नदी के तट पर सुदूरवर्ती राज्य का राज

सेतुबंध रामेश्वरम का माहात्म्य

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सेतुबंध रामेश्वरम् का माहात्म्य सेतुबंध रामेश्वरम् दक्षिण समुद्र तट पर तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है । यहाँ भगवान शिव का शिवलिंग स्थित है। त्रेतायुग में जब भगवान श्री राम   जब सीता जी को लंकेश रावण से वापस लाने के लिए जा रहे थे तभी समुद्र पर सेतु बनाते समय उन्होंने यहीं शिवलिंग की स्थापना किये । भगवान श्री राम द्वारा स्थापित किए जाने के कारण रामेश्वरम् कहलाये अर्थात् जो श्रीराम का ईश्वर हो --वही रामेश्वरम् है।  भगवान श्री राम ने श्री रामचरितमानस मानस में कहा है --   ' लिंग थापि विधिवत करि पूजा ।  शिव समान मोहि प्रिय नहीं दूजा।।' उन्होंने अपने श्री मुख से कहा है --  "  जो व्यक्ति रामेश्वरम् का दर्शन करेंगे , उन्हें सायुज्य मुक्ति प्राप्त होगी।"   सेतुबंध रामेश्वरम् का माहात्म्य नमस्कार बंधुओ ! मैं नन्द किशोर राजपूत आज पावन पुनित  सेतुबंध रामेश्वरम् की महिमा  वर्णन करने जा रहा हूँ । जिसके पढ़ने से पापों के समूह नष्ट हो जाते हैं। यह स्थान भारत के अंतिम छोर पर स्थित है। हमारे धर्मशास्त्र में गंधमादन पर्वत के नाम से वर्णित है ,यह द्वीप लगभग

जगन्नाथ पुरी की महिमा

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जगन्नाथ पुरी की महिमा नमस्कार बंधुओ, मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपको कलिंग लेकर चलता हूँ , जो उत्कल , उड़ीसा आदि के भी नामों से जाना जाता है । मैं ' जगन्नाथ पुरी की महिमा '  के बारे में वर्णन करने जा रहा हूँ। यह पावन पुरी आध्यात्मिक के साथ - साथ ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से भी अति महत्वपूर्ण है । यह पुरी जलधि तीर पर बसा हुआ है।  अशोक का शस्त्र त्याग व धर्म परिवर्तन -- उड़ीसा का प्राचीन नाम कलिंग है , जहाँ के शासक को पराजित करने के लिए महाराज अशोक को चढ़ाई करनी पड़ी थी । उनको कलिंग से चार वर्षों तक लगातार युद्ध करना पड़ा था । सेनानायक और महाराज की लड़ाई में मृत्यु हो जाने के बाद उनकी पुत्री पद्मा स्वयं युवतियों की सेना का नेतृत्व करती हुई अशोक के सामने आयी। महाराज अशोक ने स्त्री पर हथियार चलाना धर्मोचित् नहीं समझा और अपने अस्त्र - शस्त्र का त्याग करके बौद्ध धर्म  को स्वीकार कर आजीवन अहिंसा का व्रत ले लिया । जगन्नाथ पुरी धाम भारत के चार धामों में जगन्नाथपुरी धाम का विशेष महत्व है । यहाँ के भव्य मन्दिर में भगवान जगन्नाथ , सुभद्रा व बलराम की मूर्तियाँ दर्शनीय हैं ।  

इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण

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इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण नमस्कार बंधुओ, मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए अतिप्राचीन ऐतिहासिक कथा ' इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण '  का वर्णन करने जा रहा हूँ। जो श्रीवेदव्यास जी  द्वारा रचित है और जो श्रीशुकदेवजी ने राजा परीक्षित  से कहा है।यह मनोरम कथा श्रीमद्भागवत् महापुराण षष्ठ स्कन्ध अध्याय - 13  से लिया गया है । इसमें पूरा तेरहवॉं अध्याय श्लोक संख्या 1 से 23 तक वर्णन है। इन्द्रपर ब्रह्महत्या का आक्रमण श्री शुकदेवजी कहते हैं --  महादानी परीक्षित ! वृत्रासुर की मृत्यु से इन्द्र के अतिरिक्त तीनों लोक और लोकपाल उस समय परम प्रसन्न हो गये। उनका भय , उनकी चिंता समाप्त हो गयी । युद्ध समाप्त होने पर देवता , ऋषि , पितर , भूत , दैत्य और देवताओं अनुचर गंधर्व आदि इन्द्र से बिना पूछे ही अपने - अपने लोक को चले गये। इसके पश्चात् ब्रह्मा, शंकर और इन्द्र भी चले गये । राजा परीक्षित ने पूछा ---   भगवान् ! मैं देवराज इन्द्र की अप्रसन्नता कारण सुनना चाहता हूँ । जब वृत्रासुर के वध से सभी देवता सुखी हुए तो इन्द्र के दुःखी होने के क्या कारण थे । श्री शुकदेवजी ने कहा --            

करणनिरपेक्ष साधन क्या है ?

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करणनिरपेक्ष साधन क्या है ? नमस्कार बंधुओ ,              मैं नन्द किशोर सिंह आज एक महत्वपूर्ण व रोचक विषय लेकर आया हूँ , जिसमें    'करणनिरपेक्ष साधन '   के बारे में चर्चा में चर्चा करेंगे। ज्यों  तिरिया  पीहर  रहै ,   सुरति  रहै  पिय  माहिं । ऐसे  जन   जगमें     रहै ,  हरि   को    भूलै   नाहिं।।           कन्या    मायके में कुछ दिन रह जाती है  तो माँ से कहती है -- ' हे माँ ! मुझे भाई या किसी परिवारजन के साथ  अपने घर पहुँचवा दो क्योंकि मेरे पति को गृहकार्य में परेशानी होती होगी ।'  वह रहती है मायके में लेकिन  चिंता घर की बनी रहती है क्योंकि उसे मालूम है कि मैं मायके की नहीं बल्कि ससुराल की हूँ , वही मेरा वास्तविक घर है ।   इसी तरह भगवान का भक्त इस संसार में रहते हुए भी भगवान् को नहीं भूलता , वह समझता है कि यह जगत् मेरा नहीं है , मेरे तो भगवान हैं। यह करणनिरपेक्ष साधन है।     अगर किसी से प्रश्न किया जाय -- ' तुम कौन हो ?'  तो प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा - '  मैं हूँ '  । ' मैं हूँ ' -- इसमें कोई लेकिन परंतु नहीं है , यह निर्विवाद है ।   &

सत्संग कैसे सुनें | Satsang Kaise sune ?

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सत्संग कैसे सुनें | Satsang Kaise sune ? नमस्कार बंधुओ !            मैं नन्द किशोर सिंह आज आपके लिए महत्वपूर्ण आध्यात्मिक विषय लेकर आया हूँ , जिसका शीर्षक है ---- सत्संग कैसे सुनें | Satsang Kaise sune         सत्संग दो शब्दों के संधि योग से बना है --  सत् + संग अर्थात् जिसका संग अच्छे लोगों से हो वह सत्संगति है। सत्संग सुनना भी एक विद्या है यदि उस विद्या को काम में लाया जाय तो सत्संग से बहुत बड़ा लाभ उठाया जा सकता है।                पढ़ाई करने से उतना बड़ा विद्वान कोई नहीं बन सकता , जितना सत्संग से बनता है। ग्रंथ पढ़ने  से तो एक विषय का ज्ञान होता है , परंतु सत्संग से परमार्थिक और व्यावहारिक   सब तरह का ज्ञान है। सत्संग करने वाला कर्मयोग , भक्तियोग , ज्ञानयोग , लययोग , राजयोग , अष्टांगयोग , हठयोग आदि अनेक विषयों की जानकारी प्राप्त कर लेता है । इन्द्र पर ब्रह्महत्या का अपराध जो प्रत्येक काम मन लगाकर करता है , वही व्यक्ति मन लगाकर सत्संग सुन सकता है । इसलिए जो भी काम करें , मन लगाकर करें। विद्याध्ययन करें , भोजन बनायें या भोजन करें , पूजा , जप-तप यानी जो भी काम करें मन लगाकर

ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ?

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ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ? नमस्कार मित्रो,                      मैं नन्द किशोर सिंह आज एक महत्वपूर्ण विषय लेकर आया हूँ जिसका शीर्षक --- ' ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ? '  जी हाँ , यह प्रश्न साधारण मनुष्यों के लिए सरल है और ज्ञानीजनों के लिए पेचीदा ! तो आइये इसको थोड़ा समझ लिया जाय । ईश्वर की प्राप्ति का कौन सा मार्ग हमें अपनाना चाहिए ?                      ज्ञान और भक्ति -- दोनों ही संसार के दुःख को दूर करने में एक जैसे हैं ; परंतु दोनों की अपेक्षा भक्ति की महिमा अधिक है । ज्ञान में तो अखण्डरस है  , लेकिन भक्ति में अनन्तरस है। अनंतरस में लहरों वाला , थिरकन वाला एक बहुत विलक्षण आनंद है । जैसे - जैसे बालक सांसारिक वस्तुओं  को पहचानने लगता है और धीरे - धीरे उसे ज्ञान होने लगता है कि यह आग है , पानी है , पेड़ - पौधे , जीव - जंतु , दीपक , पंखा आदि है , ऐसे ही तत्त्व का ज्ञान अज्ञान को मिटाता है।  अज्ञान के मिटने से दुःख , भय , जन्म - मरणरूप बंधन -- ये सब मिट जाते हैं । ये दुःख , भय  आदि सब अज्ञान से ही उत्पन्न होते हैं।