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करणनिरपेक्ष साधन क्या है ?

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करणनिरपेक्ष साधन क्या है ? नमस्कार बंधुओ ,              मैं नन्द किशोर सिंह आज एक महत्वपूर्ण व रोचक विषय लेकर आया हूँ , जिसमें    'करणनिरपेक्ष साधन '   के बारे में चर्चा में चर्चा करेंगे। ज्यों  तिरिया  पीहर  रहै ,   सुरति  रहै  पिय  माहिं । ऐसे  जन   जगमें     रहै ,  हरि   को    भूलै   नाहिं।।           कन्या    मायके में कुछ दिन रह जाती है  तो माँ से कहती है -- ' हे माँ ! मुझे भाई या किसी परिवारजन के साथ  अपने घर पहुँचवा दो क्योंकि मेरे पति को गृहकार्य में परेशानी होती होगी ।'  वह रहती है मायके में लेकिन  चिंता घर की बनी रहती है क्योंकि उसे मालूम है कि मैं मायके की नहीं बल्कि ससुराल की हूँ , वही मेरा वास्तविक घर है ।   इसी तरह भगवान का भक्त इस संसार में रहते हुए भी भगवान् को नहीं भूलता , वह समझता है कि यह जगत् मेरा नहीं है , मेरे तो भगवान हैं। यह करणनिरपेक्ष साधन है।     अगर किसी से प्रश्न किया जाय -- ' तुम कौन हो ?'  तो प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा - '  मैं हूँ '  । ' मैं हूँ ' -- इसमें कोई लेकिन परंतु नहीं है , यह निर्विवाद है ।   &

शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ?

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शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ? नमस्कार मित्रो !                       मैं नन्द किशोर राजपूत आज आपके लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आया हूँ जिसका विषय है -- "शरणागति किसकी की जाय ! "                  सही में हमें किनकी शरण जाना चाहिए ? सभी सोचते हैं मुझे बेसुमार धन - दौलत हो जाय , कोई घर - परिवार , कोई नौकरी - व्यवसाय आदि।             कोई सोचते हैं हमें किनकी पूजा करनी चाहिए जिनसे मनोवांछित फल प्राप्त हो -- शिव , ब्रह्मा , विष्णु , इन्द्र , बृहस्पति , शिवा,भवानी , लक्ष्मी आदि। इन सवालों के चक्कर में मनुष्य उलझे रह जाते हैं और उन्हें जीवनपर्यंत हल नहीं मिल पाता है यदि आपके पास भी ऐसा कोई भी सवाल है तो जरूर श्रीमद्भागवत्गीता  का अध्ययन करें । आपको सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। शरणागति किसकी की जाय ! Sharnagati kiski ki jay ?          अर्जुन के साथ इतनी घनिष्ठ मित्रता होते हुए भी भगवान् श्रीकृष्ण ने उनको पहले कभी गीता का उपदेश नहीं दिया परंतु युद्ध के अवसर पर अपने सगे - संबंधियों को देखकर संदेह में पड़ गया कि मुझे अपने प्रियजनों का मारकर अपना अधिका