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Showing posts from May 22, 2020

Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि

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Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि       श्री गणेशाये नमः।।       मैं नन्द किशोर आज आपके लिए परम पावन मोक्ष देने वाली जयंती एकादशी  कथा व माहात्म्य का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसे परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं , इस एकादशी का नाम वामन एकादशी  भी है ।  यह कथा परम पुनित है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा है । जो ब्रह्मवैवर्त पुराण  से लिया गया है । Jayanti Ekadashi | जयंती एकादशी | भाद्रपद शुक्लपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य#परिवर्तनी एकादशी/वामन एकादशी/चातुर्मास्य व्रत की विधि श्रीकृष्ण भगवान युधिष्ठिर से  बोले -- हे राजन् !                         स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली , सब पापों को रहने वाली , परम पवित्र वामन एकादशी की कथा मैं तुमसे कहता हूँ । हे नृपश्रेष्ठ ! इसको जयंती एकादशी  भी कहते हैं । इसके श्रवण मात्र से सब पाप दूर हो जाते हैं ।  अश्वमेध यज्ञ का फल भी इसके व्रत से बड़ा नहीं है । इस जयंती का व्रत पापियों के पापों को दूर करने वाला है । हे राजन् ! इससे बढ़कर कोई म

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी व्रत कथा/Putrada mahatmya ।।श्री गणेशाये नमः।। भगवान विष्णु का अष्टाक्षर मंत्र " ॐ नमो नारायणाय "             आज मैं उस एकादशी का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसके करने से समस्त कामनाएँ पूर्ण होती है , विष्णुभक्त पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है तथा जिस कथा के श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस कथा को भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का सुनाया है। पुत्रदा एकादशी व्रत कथा/श्रावण शुक्लपक्ष एकादशी व्रत कथा/Putrada mahatmya          प्राचीन समय में द्वापर युग के प्रारंभ में माहिष्म पुरी में  महीजित नाम का राजा राज्य करता था । उसको पुत्र नहीं था इसलिए उसको राज्य में सुख नहीं मिलता था । बिना पुत्र के इस लोक और परलोक में सुख नहीं है । पुत्र प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के यत्न किए लेकिन पुत्ररत्न की प्राप्ति नहीं हुई । धीरे - धीरे राजा वृद्धावस्था को प्राप्त हुआ और बहुत चिंतित रहने लगा ।              एक दिन  राजा ने सभा में बैठकर सभी प्रजाजनों से कहा -- मैंने कभी भी मैंने गलत तरीके से धन अर्जित नहीं किया । दुष्टता करने पर भ्रात