Kamika Ekadashi # श्रावण कृष्णपक्ष की एकादशी कथा व माहात्म्य

Kamika Ekadashi Vrat Katha # श्रावण कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य



श्री गणेशाये नमः ।

नमस्कार दोस्तों, 
मैं आज आपके लिए परम आनंददायिनी कामिका एकादशी की कथा व माहात्म्य का वर्णन करने जा रहा हूँ , जिसे युधिष्ठिर महाराज को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने श्री मुख से और ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा है तो चलिए अतिप्राचीन अतिमहत्वपूर्ण कथा की तरफ...

प्रेम से बोलिए यशोदा नंदन श्रीकृष्ण भगवान् की जय

Kamika Ekadashi Vrat Katha / श्रावण कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य

श्रावण मास के कृष्णपक्ष में कामिका एकादशी होती है जिसके सुनने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है ।उसमें जो शंख चक्रधारी श्रीधर , मधुसूदन , हरि नाम वाले भगवान विष्णु का ध्यान करता है उसका जो फल है उसे सुनो ।

Kamika Ekadashi करने का फल

जो फल गंगा , काशी , नैमिषारण्य और पुष्कर के स्नान से नहीं मिलता है , वह फल विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है । जो फल सूर्यग्रहण में केदार क्षेत्र और कुरूक्षेत्र में स्नान  दान करने से नहीं मिलता , वह फल श्रीकृष्ण जी के पूजन से मिलता है।

                                                                                                                                               
जो फल सरोवर और उपवन सहित भूमि का दान करने से , सिंह राशि की वृहस्पति में गोदावरी  में व्यतीपात और अतिगंड योग में स्नान करने से नहीं होता है , वह श्रीकृष्ण के पूजन से प्राप्त होता है। 

कामिका का व्रत करने वाले  भी वही फल मिलता है। सामग्री समेत बच्चे देती हुई गौ का दान करने से जो मिलता है , वही फल कामिका का व्रत करने वाले को प्राप्त होता है।

जो उत्तम पुरुष श्रावण में श्रीधर भगवान का पूजन करता है , उसको देवता , गंधर्व , उरग , पन्नग सबके पूजन का फल मिलता है इसलिए यत्न से एकादशी के दिन विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए । जो पाप से डरे हुए हैं उनको शक्ति के अनुसार भगवान का पूजन करना चाहिए । जो संसाररूपी समुद्र में डूबे हुए हैं और पाप रूपी कीचड़ में फँसे हुए हैं। उनके उद्धार के लिए कामिका एकादशी उत्तम है ।

जय श्री राम

इनसे बढ़कर पवित्र और पापों को दूर करने वाला व्रत नहीं है। हे नारद ! ये भगवान ने स्वयं कहा है। अध्यात्म विद्या  में लगे हुए मनुष्यों को जो फल मिलता है , उससे विशेष फल कामिका का व्रत करने से मिलता है । कामिका  का व्रत करने वाले मनुष्य को रात में जागरण करना चाहिए , इससे भयंकर यमराज दिखाई नहीं देता है और न दुर्गति उसकी होती है ।। 



Kamika Ekadashi Vrat Katha / श्रावण कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा व माहात्म्य



कामिका का व्रत करने से कुयोनि में नहीं जाता । कामिका का व्रत करने से योगी मोक्ष को प्राप्त हो गये ।इसलिए सावधानी से इसका व्रत करना चाहिए । तुलसी के पत्तों से जो हरि का पूजन करता है वह पापों से ऐसे दूर रहता है जैसे कमल का पत्ता पानी से दूर रहता है । 


तुलसी पत्र , मंजरी, दुर्वा द्वारा पूजन से भगवान विष्णु अतिप्रसन्न होते हैं

एक भार सुवर्ण और चार भार चाँदी दान करने से जो फल होता है वह फल तुलसी दल द्वारा पूजन से होता है । रत्न , मोती , पन्ना , मूँगा आदि के पूजन से विष्णु इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसीदल द्वारा पूजन से प्रसन्न होते हैं। जिसने तुलसी के मंजरी से केशव भगवान का पूजन किया है उसके जन्म भरके पापों का लेखा मिटा दिया । तुलसी दर्शन से सब पापों को दूर करने वाली , स्पर्श करने से देह को शुद्ध करने वाली , प्रणाम करने से रोगों को दूर करने वाली , सींचने से यमराज को डराने वाली है । 


तुलसी का पौधा लगाने से लाभ


तुलसी का  पौधा लगाने से भगवान् के समीप पहुँचाने वाली तथा भगवान् के चरणों पर चढ़ाने से मोक्ष देने वाली है उस तुलसी को नमस्कार है। जो एकादशी के दिन दिन - रात दीपदान  करता है उसके पुण्य की संख्या को चित्रगुप्त भी नहीं जान सकता। 


एकादशी के दिन जिसका दीपक भगवान् के सामने जलता है । उसके पितर स्वर्ग में जाकर अमृत पीकर तृप्त हो जाते हैं । घी अथवा तेल से दीपक जलाने वाला करोड़ों दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाता है । ये कामिका एकादशी की महिमा है। इसलिए पापों को हरने वाली  एकादशी का व्रत करना चाहिए। दोनों पक्षों की एकादशी में कोई अंतर नहीं समझना चाहिए । यह ब्रह्महत्या तथा गर्भहत्या  के पापों को भी दूर करने वाली है । स्वर्ग तथा विशेष पुण्य को देने वाली है ।

जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस माहात्म्य को सुनता है वह अवश्य वैकुण्ठ को चला जाता है।

                               स्रोत -- श्री ब्रह्मवैवर्तपुराण 

श्री एकादशी माहात्म्य की जय !
श्री लक्ष्मीनारायण की जय।।

एकादशी के दिन भगवान् विष्णु के अष्टाक्षर मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए --

ॐ नमो नारायणाय ।

एकादशी के दिन जो भी पुण्य किया जाता है वह अक्षय हो जाता है।

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जय श्री राम


धन्यवाद 

आपका सेवक
नन्द किशोर सिंह

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