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योगिनी एकादशी : व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति #जानें पूजा विधि और महत्व / आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी कथा

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योगिनी एकादशी : व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति #जानें पूजा विधि और महत्व / आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी कथा Ekadashi katha योगिनी एकादशी : व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति #जानें पूजा विधि और महत्व / आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी कथा            नमस्कार दोस्तों ,                               मैं नन्दकिशोर सिंह आज आपके लिए अति महत्वपूर्ण अतिप्राचीन  कथा लेकर आया हूँ जिसका इन्तजार आपको भी अरसों से था तो आइये चलें अनुपम कथा की ओर  ......       आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी       युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण जी से पूछा -- आषाढ़ Krishna Ekadashi का क्या नाम है ?  हे मधुसूदन कृपा करके कहिए ।                                         श्रीकृष्ण भगवान बोले -- हे राजन् ! व्रतों  में उत्तम व्रत मैं तुमस...

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

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राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद ' राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद ' श्री गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ' श्री रामचरितमानस ' के बालकांड से लिया गया है।        इसमें दिखाया गया श्रीरामचन्द्रजीके द्वारा धनुष टूट जाने पर  परशुरामजी क्रोध के कारण अत्यंत व्यग्र हो उठे हैं और सही - गलत का निर्णय नहीं कर पा रहे हैं तो आइये काव्य के जरिए समझने की कोशिश करेंगे।    प्रभु श्रीरामजी ने धनुष तोड़ दिया है और महेंद्रगिरी पर्वत पर परशुराम जी धनुष की भयंकर आवाज सुनकर महाराज जनक की सभा में आते हैं। वहीं उनकी वार्तालाप होती है जिसका कुछ अंश NCERT#CBSE  पाठ्यपुस्तिका में दिया गया है।             राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद       हे नाथ (स्वामी) ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका सेवक ही होगा। आप क्या आज्ञा उनके लिए देना चाहते हैं वो मुझसे क्यों नहीं कहते हैं ? यह सुनकर क्रोधी मुनि गुस्सा करके बोले --      सेवा करने वाला ही सेवक होता है लेकिन शत्रुता का काम करके लड़ाई ह...

निर्जला एकादशी व्रत की कथा / इतिहास # Nirjala Ekadasshi vrat ki katha # ज्येष्ठ शुक्लपक्ष एकादशी की कथा

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निर्जला एकादशी व्रत की कथा /इतिहास # Nirjala Ekadasshi vrat ki katha # ज्येष्ठ शुक्लपक्ष एकादशी की कथा निर्जला एकादशी व्रत की कथा /इतिहास # Nirjala Ekadasshi vrat ki katha # ज्येष्ठ शुक्लपक्ष एकादशी की कथा नमस्कार  मित्रो !     मैं नन्द  किशोर आज आपके लिए अति प्राचीन कथा लेकर आया हूँ जो हमारे असंख्य जाने - अनजाने पापों को शीघ्र ही जलाकर राख करने में सक्षम है ।इसके श्रवण व  व्रत करने से अनन्त काल के पापों का क्षय हो जाता है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी कथा / निर्जला एकादशी माहात्म्य   भीमसेन बोले -- हे महाबुद्धि पितामह ! मेरी बात सुनिये। युधिष्ठिर, कुन्ती , द्रौपदी , अर्जुन , नकुल , सहदेव ये सभी किसी एकादशी को भोजन नहीं करते और मुझसे भी कहते हैं तुम भी भोजन नहीं किया करो लेकिन मुझसे भूख सही नहीं जाती।सो हे पितामह मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए जो बिना उपवास किए एकादशी के व्रत का फल कैसे मिले ?     तब वेदव्यास जी बोले - जिनको स्वर्ग प्रिय है और नरक बुरा लगता है उसे दोनों पक्ष की एकादशी करनी चाहिए ।  भीमसेन बोले - जब मैं ढेर ...

अपरा/अचला एकादशी व्रत कथा| ज्येष्ठ कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा

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अपरा/अचला एकादशी व्रत कथा| ज्येष्ठ कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा अपरा/अचला एकादशी व्रत कथा/ ज्येष्ठ कृष्णपक्ष एकादशी व्रत कथा                       युधिष्ठिर बोले -- हे जनार्दन ! ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी का क्या नाम है ? मैं उसका माहात्म्य सुनना चाहता हूँ, उसको आप कहिए।।      श्रीकृष्ण जी बोले-- हे राजन् ! तुमने संसार के हित के लिए बहुत सुंदर प्रश्न किया है। यह एकादशी बहुत पुण्यों को देने वाली और बड़े-बड़े पापों को नष्ट करने वाली है।।  हे राजेंद्र ! यह अनन्त फल देने वाली है।जो अपरा का व्रत करते हैं वे संसार में प्रशिद्ध हो जाते हैं।।ब्रह्महत्या , गोत्री की हिंसा , गर्भ की हत्या, दूसरे को निन्दा , पर स्त्री गमन आदि सब पाप।। हे राजन् ! अपरा के व्रत करने से नष्ट हो जाते हैं।   एकादशी का महत्व झूठी गवाही देने वाले , झूठी प्रशंसा करने वाले , कम तौलने वाले ,  मिथ्या वेद पाठी ब्राह्मण, मिथ्या शास्त्र रचने वाला , ठग ज्योतिषी , कपटी वैद्य , ये झूठी गवाही देने वाले की तरह नरक गामी होते है...